एक्सोसोम थेरेपी: स्किनकेयर का नया जादू या बस एक और ट्रेंड?
सच कहूँ तो, आजकल Skincare की दुनिया में रोज़ कोई न कोई नई साइंटिफिक ट्रीटमेंट छा जाता है। अब एक्सोसोम थेरेपी की इतनी चर्चा हो रही है कि हर दूसरा स्किन एक्सपर्ट वही गा रहा है: "यही है वो अगला बड़ा गेम-चेंजर!"
तो असल में एक्सोसोम है क्या बला? चलो, सिंपल भाषा में समझते हैं — ये हमारी बॉडी की कोशिकाओं के छुपे रुस्तम "पैकेट्स" हैं। लैब कोट वाले इनको messenger packets बोलते हैं। प्रोटीन, ग्रोथ फैक्टर्स वगैरह से भरे ये पैकेट जवान सेल्स दुसरी थकी-हारी या बूढ़ी सेल्स तक भेजती हैं, जिनसे वे फिर गियर अप होकर रिपेयर मोड में आ जाती हैं। मतलब, कोई नई सेल नहीं डाली जाती - आपकी अपनी स्किन खुद ही फुल कॉन्फिडेंस में रिपेयरिंग पर लग जाती है। कितना स्वैग है न!
फायदे सुनोगे तो लगेगा, बस यहीं से टिकट बुक करो:
- झुर्रियों और लटकती स्किन का रामबाण – कोलेजन/इलास्टिन रफ्तार से बनने लगते हैं।
- फेस पे एक्स्ट्रा ग्लो, रंगत में सुधार और ओपन पोर्स की छुट्टी।
- दाग-धब्बे, ऐक्ने के निशान...सबका इलाज! लालपन-जलन तो फौरन ही कम।
- नेचुरल रिज़ल्ट्स, सर्जरी वाली प्लास्टिक फीलिंग आई नहीं।
- और downtime? एकदम मिनिमल। आज ट्रीटमेंट करवाइए, कल पार्टी/ऑफिस जाइए।
प्रोसेस कैसा है? कोई बड़ा हल्ला नहीं – पहले फेस क्लीन, फिर माइक्रोनीडलिंग या लेज़र वाला प्री-ट्रीटमेंट, जिससे स्किन की porousity बढ़े। उसके बाद एक्सोसोम वाला सीरम या हल्के इंजेक्शन। एक-डेढ़ घंटा निकल गया। फुल झुलूस वाली फीलिंग नहीं, बस थोड़ी देर की ऐहसानमंदी!
कौन करवाए? जिनकी उम्र 30 के पार है और लगता है—"अब तो स्किन का भगवान ही मालिक है", या फिर जो ऐक्ने के निशान, फाइन लाइन्स, dullness से तंग आ चुके हैं और सर्जरी से कतराते हैं...उनके लिए खास। वो भी ट्राय कर सकते हैं जिनके ऊपर आम ट्रीटमेंट्स ने बिल्कुछ असर नहीं दिखाया।
ध्यान रखने वाली बातें:
- दाम...हां, पॉकेट जल सकते हैं! तीस चालीस हज़ार तक लग जाता है सेशन।
- एकदम झटपट चमत्कार मत सोच लेना। नतीजे 2–3 महीनों में दिखते हैं।
- अभी नई टेक है, क्लिनिक-क्वालिटी जाँचो-परखो।
- रिसर्च चल रही है, लॉन्ग टर्म फायदों पर अभी सबूत कम हैं...तो एक्सपर्ट से पूछे बिना मत भागो।
आखिर में – बिंदास सवाल: क्या ये फ्यूचर है? भाई, गेम-चेंजर तो दिख रहा है। जो ट्रेंड/लीडिंग एज पर पैसा उड़ाने का शौक रखते हैं – उनके लिए यह नया खजाना है। बाकी रिसर्च और पॉकेट देख कर, प्लान बनाओ...और डर्मेटोलॉजिस्ट से दिल खोलकर सब सवाल पूछना ज़रूर!
सीधा बोलूँ…फेस है, कोई टेस्ट लैब नहीं। स्मार्ट बनो, ट्रेंडी भी!
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