पेप्टाइड्स: त्वचा की जवानी लौटाने का वैज्ञानिक रहस्य? एंटी-एजिंग में नया क्रांतिकारी घटक

 पेप्टाइड्स – स्किनकेयर का असली गेमचेंजर या बस अगला ट्रेंड?  

ओके, अब वाकई में हर कोई स्किन के लिए रेटिनॉल और विटामिन C का गाना गाता रहता है, लेकिन हाल ही में एक नया खिलाड़ी आया है – पेप्टाइड्स! मैं कहूँ तो, मार्केट जरा इसे ओवरहाइप कर रहा है, लेकिन इसमें दम तो है। तुम अगर अपनी स्किन की फ्रेंडशिप वाली उम्र याद दिलाना चाहते हो, झुर्रियां, फाइन लाइन्स और वो सैडनेस vibes हटानी है, लेकिन रेटिनॉल के खतरनाक साइड इफेक्ट से बचना है – पेप्टाइड्स ट्राय करलो भाई।



सबसे पहले – ये कोई जुमला भर नहीं है, असली डर्मेटोलॉजिस्ट्स भी पीछे पड़ गए हैं इसके। रिसर्च से साफ है, पेप्टाइड्स वाकई स्किन को यंग बनाने में काम आते हैं।


पेप्टाइड्स क्या बाइक हैं?  

चलो आसान मेटाफर से समझते हैं। प्रोटीन है एक लंबा-सा हार, ठीक है? पेप्टाइड्स उसी हार के टूटे मोती – छोटे-छोटे अमीनो एसिड्स के सिक्वेंस।


हमारी स्किन कोलेजन और इलास्टिन नाम के प्रोटीन से बनी, वही जो स्किन को टाइट और बाउंसी बनाते हैं। अब देखो, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है (या हम अपनी लाइफ में सूरज के साथ UFC मैच खेलते हैं), ये प्रोटीन टूटने लगते हैं, तभी स्किन लटकने और झुर्रियां आने लगती हैं।


इधर पेप्टाइड्स मैदान में उतरते हैं – स्किन सेल्स को सिग्नल देते हैं, भाई कमर कस! नया कोलेजन बनाओ! स्किन फिर अपनी खोई हुई बाउंस तलाशने लगती है।


पेप्टाइड्स के सुपरपावर – सिर्फ झुर्रियों का इलाज नहीं  

कोलेजन को बूस्ट करना: इनका सबसे बड़ा स्टंट यही है। नए कोलेजन को जमकर बनाने को उकसाते हैं, जिससे फाइन लाइन्स कम होती जाती हैं।


स्किन फिर स्मार्ट बन जाती है: इलास्टिन बढ़ता है, और वो पुराना स्प्रिंग वाला फील वापस आने लगता है।


स्किन की प्रोटेक्टिव लेयर मजबूत होती है: बाहर की गंदगी/पॉल्यूशन जैसे इरिटंट्स घुस नहीं पाते, मतलब स्किन फील्स सेफ & सॉफ्ट।


सूजन पर भी वार: खासकर कॉपर पेप्टाइड्स तो जलन-घाव भरने में भी माहिर हैं।


रूटीन में कैसे लें?  

सबसे बेस्ट बात – लगभग हर स्किनको सूट कर जाते हैं, सेंसिटिव स्किन वाले भी ट्राय कर सकते।


किधर मिलते हैं – सीरम्स, मॉइश्चराइज़र, आई क्रीम्स; सीरम्स सबसे ताकतवर, क्योंकि उनमें एक्टिव्स ज्यादा होते हैं।


इस्तेमाल कब करें? सुबह रखो या रात – तुम बोलो। कई लोग सुबह sunscreen के नीचे लगाते हैं, एक्स्ट्रा प्रोटेक्शन के लिए।


स्टीप बाय स्टीप – बाल कटवाने जितना सीधा  

1. फेस वॉश करो।  

2. अगर टोनर के भक्त हो, तो वो लगाओ।  

3. थोड़ा सा पेप्टाइड सीरम पूरे चेहरे-गरदन पर थपथपाओ।  

4. सूखने दो, फिर मॉइश्चराइजर और (दिन में हो तो) सनस्क्रीन।


मिला-जुला दोस्ताना  

पेप्टाइड्स हायल्यूरोनिक एसिड, नायसिनेमाइड, विटामिन C – सबके साथ पार्टी कर सकते हैं, कोई झगड़ा नहीं! रेटिनॉल का भी बैलेंस बनाते हैं, मतलब रेटिनॉल की खुजली भी कम हो जाती है।


किसको यूज़ करना चाहिए?  

- 30+ वाली जनरेशन जो एजिंग रोकना चाहती है  

- जिन्हें रेटिनॉल सूट नहीं करता  

- जिनकी स्किन में लाइन्स या सैगिंग शुरू हो चुकी है  

- सेंसिटिव स्किन वाले जो सॉफ्ट एक्टिव्स ढूंढ रहे हैं


तो... पेप्टाइड्स हैं वर्थ इट?  

मैं बोलूँ – बिल्कुल। इंस्टेंट रिजल्ट नहीं देने वाले, लेकिन हाँ, टाइम के साथ स्किन स्ट्रॉन्ग और स्मूद दिखने लगती है। अगर लॉन्ग टर्म, नो ड्रामा, यंग स्किन चाहिए – ट्राय मारो। टाइम दो, 2-3 महीने में चेहरे पर फर्क दिख जाएगा – नया गLOW, और पहले से फ्रेश फीलिंग। Honestly, पेप्टाइड्स को अपनी टीम में रख लो – स्किन तुम्हें बाद में थैंक यू बोलेगी!

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