सनस्क्रीन – ज़रूरी है, भाई!
चलो, बात सीधी सी है – स्किन की केयर करनी है तो सनस्क्रीन से दोस्ती पक्की कर लो। हैरानी की बात ये है कि इतने ढेर सारे लोग अब भी इसे रोज नहीं लगाते… और बाद में बोले – ‘मेरा चेहरा तो बिलकुल सर्किट बोर्ड जैसा हो गया है!’ गर्मी हो या बादल, बाहर जाते ही पसीना, धूप, सनबर्न, फिर रश्क करते रहो इंस्टाग्राम फोटोज़ पर दूसरों की ग्लोइंग स्किन देखकर।
सनस्क्रीन क्यों इतनी मेन चीज़ है?
- स्किन कैंसर – खबरदार! यूवी रेज़ फिजूल में अपनी टीआरपी बढ़ा रही हैं, सनस्क्रीन ही है जो बचा सकता है
- झुर्रियाँ, महीन लाइन्स – पांच साल बाद जब बर्थडे कैक में मोमबत्तियाँ बढ़ जाएँगी, तो याद आएगा - यार, लगाना चाहिए था
- पिग्मेंटेशन, डार्क स्पॉट्स – बस अब ‘फिल्टर’ कपड़े धोने वाली मशीन में रह गया है। असली काम सनस्क्रीन करता है
- सनबर्न – ओह भाई, दर्द ही दर्द
- स्किन की texture – ये नहीं लगाया तो ब्लेंडर से निकलोगे, समान रंगत तो क्वीन बन जाओगे
SPF – ये क्या बला है?
SPF का मतलब, अभी का अभी –
SPF 15 – 93% UVB rays रोकता है
SPF 30 – 97%
SPF 50 – 98%
SPF 100 – 99%
मतलब, कोई भी ‘100%’ सपना मत देखो, फिर भी SPF 30-50 सॉलिड है, खासकर इंडियन स्किन के लिए।
किसे क्या यूज़ करना चाहिए?
– बच्चों को मिनरल वाला, SPF 50
– संवेदनशील स्किन तो फिजिकल/मिनरल ही बेस्ट
– ऑयली-सकिन? वाटर-बेस्ड या जेल बेस्ड, वरना पूरा दिन चेहरा भट्टी
– ढूंढो ब्रॉड-स्पेक्ट्रम वाली (UVA + UVB डबल डोज़ प्रोटेक्शन)
मिनरल vs केमिकल सनस्क्रीन – क्या फसाद है?
मिनरल – जिंक ऑक्साइड, टाइटेनियम डाइऑक्साइड – ये UV rays को टप्पा मार के वापस भेज देते हैं।
– तुरंत असर
– सेंसिटिव स्किन के लिए तोफ्फ्फ
– पूराने-ससुराल वाले पसीने में भी ये फिट
केमिकल – एवोबेंजोन, ऑक्सीबेंजोन – UV rays को स्किन में घुसने से पहले ही गटक जाते हैं।
– बिल्कुल लाइट, चिपचिपा नहीं
– फेस पे स्मूद घुल जाता है
सनस्क्रीन लगाओ कैसे?
मात्रा – ‘दो उंगलियां’ भर अपने चेहरे के लिए, डरना मत, कंजूसी मत करो
शरीर के लिए – एक छोटी कप, हां, गिलास नहीं
वक्त – बाहर निकलने से 15-20 मिनट पहले
फिर हर दो घंटे में टच-अप, तैरने, पसीना पोंछने के बाद जरूर
कहाँ कहाँ?
चेहरा, गर्दन, कान, हाथ, पैर – ओह और जिसको गंजापन है, सिर भी
सनस्क्रीन के अलग-अलग अवतार
– लोशन – अगर ड्राई स्किन है
– जेल – तैलीय स्किन वालों के लिए स्वर्ग
– स्टिक – आँखों के आसपास
– स्प्रे – बच्चों के लिए या पूरे शरीर
– पाउडर – मेकअप री-ऐप्लिकेशन के बाद
मिथक vs सच – हां, यहाँ बहुत गलतफहमियाँ हैं
मिथक: बादल है तो धूप नहीं – भाई, UV rays बादलों से लाज़वाब घुस जाती हैं
मिथक: डार्क स्किन वालों को ज़रूरत नहीं – UV किसे छोड़ती है?
मिथक: मेकअप में SPF है काफी – लल्लू, इतनी मात्रा में मेकअप कौन लगाता है?
इंडियन मौसम – सनस्क्रीन के साथ देसी जुगाड़
गर्मी में – वाटर रेसिस्टेंट, SPF 50
सर्दी में – मॉइश्चराइजिंग SPF 30
बारिश में – लाइटवेट जेल
पहाड़ों पर – हाई SPF 50+ ही उठाओ
खरीदते वक्त जो याद रखो –
– ब्रॉड-स्पेक्ट्रम
– वाटर-रेसिस्टेंट – तैरने वालों के लिए
– नॉन-कॉमेडोजेनिक – दाने वालों के लिए
– हाइपोएलर्जेनिक – मचलती स्किन वालों के लिए
अंत में –
सनस्क्रीन कोई लग्ज़री नहीं है, भाई, रोज़ का नाश्ता है। लगाओ, घिसो, फिर लगाओ, और खुद को बहुत-बहुत शुक्रिया बोलो, जब 40 के बाद भी 25 के दिखोगे। Seriously! Skincare में यही लाइफ की सबसे सस्ती इन्वेस्टमेंट है – try it, thank me later.
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